मेरे बारे में

राव नरेंद्र सिंह का जन्म एक राजनीतिक घराने में 27 नवंबर 2962 को अटेली के मंढाणा गावं में हुआ, उनके पिता जी राव बंशी सिंह की बड़ी राजनीतिक हैसियत थी वो 70/80 के दशक में अटेली मंडी विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए थे और आगे चल कर 1991 में पंचायत विकास मंत्री बने । अपने पिता की राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राव नरेंद्र सिंह जी ने भी राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया और विधायक और मंत्री के पदों को सुशोभित किया। राव नरेंद्र जी राजनीतिक सफर 90 के दशक में ही शरू हो गया था जब उन्हें भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस पार्टी की नीतियों, सिद्धांतों, और तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव जी और इंदिरा जी की दूर दृष्टि से प्रवाभित होकर कांग्रेस पार्टी की प्रारंभिक सदस्यता ग्रहण की और कांग्रेस पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों को जनता के बीच पहुँचाने का कार्य किया। स्थानीय लोगो की समस्याओं और उनके समाधान के सतत प्रयास और पार्टी स्तर पर मंडल और पंचायत स्तर की पार्टी द्वारा दी गयी बहुत सारी ज़िम्मेदाररियों का सफलतापूर्वक निर्वाहन किया जैसे कार्यकर्ता सम्मलेन, ब्लॉक लेवल की कमिटी, बूथ लेवल कमिटी इत्यादि काफी सकारात्मक रहे और पार्टी को विधानसभा स्तर पर इससे काफी लाभ मिला।

सामाजिक कार्यो में लगातार सक्रीय भागीदारी, लोगो की निस्वार्थ भाव से मदद, हकमारी और शोषण के खिलाफ लगातार मुखरता ने उन्हें स्थानीय लोगों के बीच तो उनको काफी लोकप्रिय बनाया ही साथ-साथ पार्टी को ज़मीनी स्तर पर मज़बूत करने के लिए किये जा रहे विभिन्न अभियानों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन ने उन्हें पार्टी के अंदर भी प्रदेश और राष्ट्रिय स्तर पर पहचान दिलाई। परिणाम स्वरुप भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस ने अटेली मंडी विधानसभा से 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया ये चुनाव उनके जीवन का मील का पत्थर साबित हुआ उन्होने पूरी ताक़त से चुनाव लड़ा और लगभग 2800 मतों से ये चुनाव जीता। ये वो समय था जब वो पहली बार विधायक बने और अपने क्षेत्र की जनता की खूब सेवा की फलस्वरूप पार्टी ने उनपर फिर से विश्वास जताते हुए उन्हें सन 2000 के विधानसभा चुनाव में फिर से अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने इस चुनाव में भी जीत का परचम लहराया लगातार दो बार विधानसभा का चुनाव जीते और लगातार 10 वर्षों तक उन्होंने अटेली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व विधानसभा में किया।

लगातार क्षेत्र में सक्रीय रहना लोगों की समस्याओं को सुनना उनके निवारण के हर संभव प्रयास करना इसी नीति ने उन्हें 10 वर्ष विधायक के तौर पर सेवा का अवसर उपलब्ध करवाया साथ ही उन्हें प्रदेश और केंद्रीय की राजनीति में खासा लोकप्रिय तो बनाया दिया था। इसी क्रम में एक बड़ी राजनीतिक घटना क्रम में हरयाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल द्वारा बनायीं गयी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी की सदस्यता उन्होंने ग्रहण की, आगे चल कर 2016 में इस पार्टी का विलय भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में कर दिया गया । 2009 में हुए लोकसभा चुनाव को उन्होंने हरयाणा जनहित कांग्रेस पार्टी के टिकट पर भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से चौधरी देवी लाल (पूर्व उप-प्रधानमंत्री) के पौत्र अजय सिंह जी जो की इंडियन नेशनल लोक दल के प्रत्याशी थे और चौधरी बंशीलाल (पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा) की पौत्री श्रुति चौधरी के खिलाफ लड़ा और २ लाख से ज़्यादा मत ला कर तीसरे स्थान पर रहे उसके बाद 2001 में ही हुए विधानसभा चुनाव उन्होंने जनहित कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लड़ा और चुनाव में वजय प्राप्त कर तीसरी बार अटेली के विधायक निर्वाचित हुए, उस समय हरयाणा में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की सरकार बनी और उन्होंने वापस कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और 2011 में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला साथ ही मंत्रालय में स्वस्थ, चिकित्सीय शिक्षा, और एलेक्शंस विभाग मिला।

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